Sunday, June 19, 2011

Meri Deewaandi Apna Thikhaana Dhund Leti Hai

मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है
मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है

बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है

हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को

मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है

न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई

वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है

समझ पाई न दुनिया मस्लहत मंसूर की अब तक

जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है

उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का

वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है

जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने से

मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है

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